ओपेक प्लस देशों के द्वारा अचानक ही क्रूड के उत्पादन में कटौती करने के फैसले लिए जाने के कारण सेंसेक्स शेयर बाजार भी सकपका गया है।
एक्सपर्ट द्वारा कहां जा रहा है की क्रूड के उत्पादन में कमी के फैसले से कच्चे तेल की कीमतों में आग लग सकती है, और आने वाले कुछ समय के अंदर ही कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल का स्तर भी पार कर सकता है।
यहां पर यह देखने हैं की विगत सोमवार को पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन यानी ओपेक और रूस सहित उसके सहयोगी ने कच्चे तेल का उत्पादन में 11.6 लाख प्रतिदिन घटाने की घोषणा की थी। उनके द्वारा की गई कच्चे तेल की उत्पादन में कमी की घोषणा का विश्व में भारत, चीन, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और यूरोपिय व अन्य एशियाई देशों में दुष्प्रभाव पढ़ने की आशंका है, और ऐसी संभावना जताई जा रही है की इसके कारण विश्व में महंगाई में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है।
ओपेक देशों द्वारा तर्क दिया गया है की क्रूड के उत्पादन में कमी का मुख्य कारण तेल बाजार को स्थिर करने के लिए है, मगर ओपेक देशों का यह तर्क वर्तमान में समझ से परे है, वह भी तब जबकि अमेरिका में आया हुआ बैंकिंग संकट वर्तमान में टल गया है।
महंगे क्रूड का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला प्रभाव
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड में तेजी आने से भारतीय अर्थव्यवस्था और हैंडसम शेयर बाजार में भी इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल सकता है।
यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि भारत कच्चे तेल का बहुत बड़ा आयातक देश है और भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल अन्य देशों से आयात करता है, जिसके कारण भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है।
भारत अभी तक 75 डालर के आसपास प्रति बैरल क्रुड आयात कर रहा था। महंगे कच्चे तेल के कारण देश में भी पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ने की संभावना है, जिसका असर सेंसेक्स शेयर बाजार पर भी देखने को मिलेगा। महंगाई बढ़ने से भारतीय शेयर बाजार भी दबाव में आ सकते हैं।
विनिर्माण गतिविधियों में तेजी से सेंसेक्स मार्केट शेयर बाजार रियलिटी सेक्टर की कंपनियों में तेजी आने की संभावना
भारत में विनिर्माण गतिविधियां बहुत तेजी से बड़ी है और यह 3 महीने के शीर्ष पर पहुंच गई है। s&p ग्लोबल भारत में निर्माण विनिर्माण खरीद प्रबंधक यानी कि पीएमआई मार्च माह में बढ़कर 56.4 तक पहुंच गया है, जोकि वित्तीय वर्ष 2023 में अब तक सबसे मजबूत सुधार का संकेत है, वही इससे 1 माह पूर्व यानी कि फरवरी में विनिर्माण 55.3 रहा था। पीएमआई का 50 से ऊपर अच्छा समझा जाता है और यह माना जाता है की गतिविधियों में विस्तार हो रहा है, जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा विनिर्माण में संकुचन को दिखाता है। विनिर्माण क्षेत्र में आई तेजी के कारण सेंसेक्स मार्केट शेयर बाजार में विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों के स्टॉक्स में तेजी आने की संभावना है। भारत के 8 प्रमुख महानगरों में जनवरी-मार्च तिमाही वित्तीय वर्ष 2022 - 2023 में मकानों की बिक्री बढ़कर 79,126 इकाई तक पहुंच गई है जोकि सुखद संकेत है।
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