निर्माण क्षेत्र में धीमी वृद्धि: क्या हैं मुख्य कारण?
निर्माण क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे के विकास में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, दिसंबर 2024 में इस क्षेत्र की वृद्धि दर बीते 12 महीनों में सबसे कम रही। एक सर्वेक्षण के अनुसार, नए ऑर्डरों और उत्पादन की धीमी गति के कारण यह गिरावट दर्ज की गई।
मुख्य बिंदु:
वर्तमान वित्त वर्ष के दिसंबर माह में निर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 54.4% रही, जो 54.1% के पिछले स्तर से थोड़ी अधिक है।उत्पादन दर और नए ऑर्डर में कमी ने कुल प्रदर्शन को प्रभावित किया।भविष्य में कंपनियों को बुनियादी ढांचे और परियोजनाओं में तेजी लाने की आवश्यकता होगी।विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की ओर से नीतिगत हस्तक्षेप और नए निवेश से इस क्षेत्र में सुधार संभव है।
उच्च ब्याज दर और निर्यात पर प्रभाव
सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) के मुताबिक, भारतीय निर्यातकों को उच्च ब्याज दर के कारण बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 31 दिसंबर 2024 को समाप्त तिमाही में निर्यात में गिरावट देखी गई।
मुख्य चिंताएं:
उच्च लागत के कारण भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो रही है। निर्यातकों ने सरकार से ब्याज दरों को कम करने और व्यापार को सुगम बनाने की मांग की है। वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए सरकार को निर्यात बढ़ाने के लिए विशेष पैकेज और रणनीतियों पर काम करना होगा, ताकि वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति मजबूत बनी रहे।
बजट में पूंजीगत खर्च का बढ़ना: संभावनाएं और महत्व
आर्थिक क्षेत्र के जानकारो के अनुसार सरकार आगामी बजट 2025-26 में पूंजीगत खर्च को 10-12% तक बढ़ा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि चुनावी वर्ष में अर्थव्यवस्था को गति देने का एक प्रमुख कदम हो सकता है।
वित्तीय योजना:
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूंजीगत खर्च लगभग ₹8.4 लाख करोड़ रहेगा। 2029-30 तक इसे ₹12 लाख करोड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य है। सरकार द्वारा सड़क, रेलवे और अन्य बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने से निर्माण और रोजगार में सुधार की उम्मीद है।
चीन से आयात में बढ़ोतरी
दिसंबर 2024 में चीन से आयात में 16% की वृद्धि हुई, जो 95.40 मिलियन टन तक पहुंचा। यह भारतीय बाजार में सस्ते चीनी सामानों की बढ़ती मांग को दर्शाता है। हालांकि, यह स्थानीय उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
सरकार की रणनीति:
घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए नीतियां बनानी होंगी।
आयात पर निर्भरता कम करने के लिए "मेक इन इंडिया" जैसी योजनाओं को मजबूती प्रदान करनी होगी।
निष्कर्ष:
भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में कई चुनौतियों का सामना कर रही है।
सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर विकास दर को बढ़ाने और रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
निर्यात, निर्माण और पूंजीगत खर्च जैसे क्षेत्रों में नीतिगत सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दे सकते हैं।
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